Prologue:
सैर कर दुनिया की गाफिल, जिंदगानी फिर कहाँ.जिंदगानी गर रही तो, ये जवानी फिर कहाँ.
बन
मुसाफिर साहिलों
का, लहरें जिनकी
थकती नहीं.
हो सवार उन पंछियों पे, उड़ानें जिनकी थमती नहीं.
हो सवार उन पंछियों पे, उड़ानें जिनकी थमती नहीं.
रास्तों
की ले
तलाशी, बस तेरी
निशानी हो वहां,
सैर
कर दुनिया
की गाफिल, जिंदगानी
फिर कहाँ.
पहाड़ों से पठारों तक, दरिया से किनारों तक,
कड़कती धूप या बारिश, बहारों से नजारों तक,
हर शहर हर गाँव से बस तेरी कहानी हो बयाँ,
सैर कर दुनिया की गाफिल, जिंदगानी फिर कहाँ.
पहाड़ों से पठारों तक, दरिया से किनारों तक,
कड़कती धूप या बारिश, बहारों से नजारों तक,
हर शहर हर गाँव से बस तेरी कहानी हो बयाँ,
सैर कर दुनिया की गाफिल, जिंदगानी फिर कहाँ.
[Travel across the world my friend, as you will not get this
life again. Even if you have the life, you will not get this youth again.
Be the traveler of the coasts and of the tireless
sea-waves. Ride the birds, the birds with the eternal flight. Explore the
streets so that they forever carry your mark. Travel across the world my friend,
as you will not get this life again.
See the mountains and the plateaus. Visit the rivers and the
beaches. Experience the scorching sun and the soothing rain. Savor the springs
and enjoy the lovely scenery. Travel so that every city and every village must sing to your
travel tales. Travel across the world my friend, as you will not get this life
again.]